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Saturday 19 November 2016

तनाव तथा उससे बचने की उपाय

तनाव तथा उससे बचने की उपाय


तनाव या उलझन व्यक्ति  की मानसिक या शारीरिक छमताओ में आये तालमेल की कमी का परिणाम है। यह हमारा एक ऐसा भाव है या विचार है जो स्वतः भी पैदा हो सकता है और किसी दूसरे व्यक्ति या परिस्थिति द्वारा पैदा क्या जा सकता है। आज कि समझिक स्तिथि मे तनाव एक शक्तिशाली दुश्मन  के रूप में हमारा जीवन अपनी हिसाब से उलझनों से भर देता है परिणाम स्वरुप हमारे भविष्य के  सारे परिणामो पर गहरा असर डालता है। 


अब प्रशन यह उठता है की यह तनाव हमारे जीवन मे अपना वजूद इतना गहरा कैसे बना लेता है ? मेरे विचार से इसकी कई कारण  हो सकते है, जैसे -

1.  हम  हमेशा  जीवन के बारे मे , उसके परिणाम के बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं।
2. दूसरो की छमताओ को न समझते हुए उनसे बराबरी करना।
3. खुद  को व खुद  की छमताओ को न समझ पाना।
4. दूसरो के प्रति ईर्ष्या का भाव रखना।
5. जीवन के निर्णय सही समय पर न लेना।
6. कोई  भी कार्य करने से पहले कोई प्लान न बनाना।
7. नकारात्मक परिणाम मिलने पर अपनी गलती न मनना।
8. अपनी छमताओ से ज्यादा चाहत रखना।
9. भाग्य के भरोसे बैठें रहना।
10. नशे की आदतों में फंस जाना।
11. पारिवारिक उलझनों का सही हल न खोज पाना
12.  संतोष की आदत न डालना
13. अपनी  कमियों को छुपाना
14. यथार्थ से दूर भागना।
15. सत्य से बचना।
16. अन्य कारण।


दुनिया का हर इंसान से किसी न किसी कारण  से तनाव ग्रस्त है।  तो हमे क्या करना है ? क्या हमारे पास कोई ऐसा तरीका है जिस पर अमल करने से हम इस शक्तिशाली दानव से  बच सकते है। हाँ  है , और वो ऐसा तरीका है जिसके लिए आपको कही नहीं जाना है।  वह आपकी और आपके घर परिवार के अंदर है।  न कोई डॉक्टर , न कोई इलाज़ , न कोई मनोचिकित्सक, कोई नहीं।  वो तरीके निम्न प्रकार है-

1. सबसे पहले अपनी सोच सकारात्मक बनाने का प्रयास करे।
2. शांत बैठ कर अपनी वास्तविक  क्षमताओ का आंकलन करे तभी कुछ करने का निर्णय ले।
3. कभी किसी से बराबरी न करे क्योंकि आपकी व उसकी योग्यताओ मे जमीन आसमान का अंतर है।
4. नकारात्मक परिणामो को अपना शिक्षक बना कर उससे अपनी कमियों को दूर करे।
5. ईर्ष्या का भाव सदैव के लिए अपने दिमाग से निकाल दे।
6. हर प्रकार के नशे से स्वयं को दूर रखे क्योंकि नशा दिमाग को शांत नहीं करता बल्कि उसे और तनाव दे देता  है।
7. अपनी समस्याओ को अपनी परिवार व  जिन्हें आप करीबी मानते है उनके साथ बैठ कर हल करे।
8. किसी प्रकार की उलझन को मन में दबा कर न रखे।
9. जीवन का निर्णय लेने से पहले सोचे और दूसरो से भी विचार करे।  तभी अंतिम निर्णय ले।
10. दिमाग को हमेशा शांत रखे उसे उलझनों में फसने से बचाए।
11. अपनी इच्छाओं को नहीं आवश्यताओं को पूरा करने का प्रयास करे।
12.  धन हमारे लिए बहुत कुछ है पर वह सब कुछ नहीं दे सकता।  वह साधन दे सकता है, पर हर नए  साधन के साथ दुसरो को खरीदने का तनाव भी देता है यह कभी न ख़तम होने वाली दौड़ है।  अतः इसमे संतोष का मूल  मंत्र आप की मदद कर सकता है।



इन तरीको से साथ कुछ ऐसे कुछ ऐसी  क्रिया  व  परिवर्तन भी है जिनको अपने  जीवन मे लाने से आप तनाव से दूर रह सकते है।

1. आप की दिन चर्या नियमित हो।
2. खान पान संयमित  हो।
3. संतुलित व शाखाहारी भोजन हो।
4. रोज सोने से पहले अपनी दिन चर्या का आकलन करे व गलतियों को न दोहराने का प्रण ले।
5. पानी अधिक पिये।
6. अपनी अगले दिन की कार्यों का प्लान करे।
7. नींद आने की व दर्द निवारक  दवा न खाये अगर आप इन्हें लेते है तो धीरे धीरे कम करे।
8. संकोची स्वभाव को बदले।
9. अधिक बोले जिससे आपकी बाते बाहर आये।
10. नींद पूरी करे।
11.आलस्य  का त्याग करे।
12. किसी भी हालत  में अपने हौसले को टूटने न दे नहीं तो आप में हीन भावना आ जाएगी।
13. परिस्तिथों को बदलने से अच्छा  है की आप स्वयं बदल जाये।
14. हर हाल में मस्त रहे व जीवन का आनंद ले।


अंत में मैं यही कहूंगा की हमारा यह मानव जीवन फिर मिले न मिले तो हम इसे क्यों न इसे  प्यार व खुशियो से भर कर जीएं  हम मानव है और मानव का प्राकर्तिक  भाव सभी से प्रेम करना है इस बात को न भूले।



लेखक - शंकर शर्मा






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