प्रसन्नता (हँसना जरूरी है )
हमारा जन्म दाता दुनिया का रचियता है। उसने इंसान को ख़ुशी के सारे साधन दिए है। फिर दुःख कहा से आ गया। हमारी ख़ुशी कहा चली गयी है। इसके ज़िम्मेदार हम खुद है। ऐसा क्यों होता है। दूसरे शब्दो में कह सकते है की वह कौन से विचार है जो हमको दुखी बनाते है। मेरे विचार से वह है -
1. आज की आधुनिक अंधी दौड़ में पिछड़ता इंसान
2.अधिक पैसो की लालसा
3. आपसी संबंधों में बिखराव
4. अधिक शारीरिक परिश्र्म
5. आपस में ईर्ष्या की भावना
6. अशुरक्षा की भावना
7. किसी पर विश्वास न करना
8. असंतुष्ट रहना
9. मानसिक तनाव रहना
10. स्वस्थ न होना
11. जीवन में अनकूल परिणाम न मिलना
12. दुसरो से कुछ ज्यादा की उम्मीद करना
13. खुद के भरोसे न चल कर दुसरो के भरोसे चलना
14. दुसरो की बराबरी करना
15. एहम को न त्यागना
16. प्रेम या सहयोग की कमी होना आदि
यह वो काम व विचार है जो हमे दुःख देते है। हमारे जीवन से ख़ुशी व मुस्कान को छीन लेते है। तो हमे क्या करना चाहिए।
1. खुद पर विश्वास करो
2. संतोष की भावना रखो
3. दुसरो की ख़ुशी देख कर जलन मत करो
4. इस दुनिया को चलाने वाले पर विश्वास रखो
5. दुसरो का सहयोग करो
6. परिवार में सहयोग की भावना बनाओ व सभी से प्रेम करो
आप देखेंगे की इनको अपनाने से परिणाम स्वरुप आपको जोह ख़ुशी मिलेगी वही जीवन का सत्य है।
लेखक - शंकर शर्मा
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